राजस्थान : सर्द हवाओं की दस्तक के साथ ही राजनैतिक सर्द हवाएं भी जोर पकड़ती दिखाई दे रही हैं !
Devendra Yadav
राजस्थान मैं सर्द हवाओं ने अपनी दस्तक दे दी है इंतजार इसका है कि राजस्थान मैं सबसे अधिक सर्दी कब पड़ेगी ? ठीक सर्द हवाओं की तरह राजस्थान की राजनीति में राजनैतिक हवाओं की सनसनाहट सुनाई देने लगी है, इंतजार इस बात का है कि हवाएं कब रुक कर किसको गर्म करेंगी और किसको ठंडा ?
विगत दिनों प्रदेश के 2 विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव के बाद कांग्रेस के राजनीतिक हलकों में प्रदेश के मंत्रिमंडल का पुनर्गठन राजनीतिक नियुक्तियां और संगठन में फेरबदल होने का शोर एक बार फिर से सुनाई देने लगा है, यह आवाज अनायास ही सुनाई नहीं दे रही है बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की पार्टी हाईकमान के नेताओं से हुई अलग-अलग मुलाकातों के बाद शुरू हुई है !
सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की कॉन्ग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बीच हुई मुलाकात के बाद पार्टी ने राजस्थान कांग्रेस में चली आ रही अंदरूनी समस्या का समाधान ढूंढ लिया है क्या ? क्या मंत्रिमंडल पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियों के बाद समस्या का पूरा समाधान हो जाएगा ? जहां तक मंत्रिमंडल के पुनर्गठन की बात करें तो राजस्थान में अनेक वरिष्ठ विधायक मंत्रिमंडल से बाहर हैं जो धैर्य के साथ लंबे समय से मंत्रिमंडल में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं, वही ऐसे विधायक भी हैं जिन्होंने अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस को समर्थन दे रखा है निर्दलीय विधायक भी हैं जो मंत्रिमंडल में शामिल होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं, ऐसे में क्या सचिन पायलट का वह राजनीतिक फार्मूला की जिन लोगों ने प्रदेश में कॉन्ग्रेस को सत्ता में लाने के लिए ईमानदारी से मेहनत की लाठियां खाई पदयात्रा की और आंदोलन किए उन लोगों को सत्ता और संगठन में महत्व मिलेगा क्या उन नेताओं की राजनीतिक नियुक्तियां होंगी ? या फिर उन नेताओं को राजनीतिक नियुक्ति के नाम पर केवल लॉलीपॉप दे दी जाएगी मसलन निगम बोर्ड और आयोग में उन नेताओं को केवल सदस्य बनाकर संतुष्ट कर दिया जाएगा ?
समस्या यह भी है कि कांग्रेस को सत्ता के गलियारों में पहुंचाने वाले ऐसे नेता भी मौजूद हैं जिन्हें विधानसभा का टिकट भी नहीं दिया था और ना ही उन्हें प्रदेश संगठन में कोई उचित स्थान मिला था, वह नेता अपनी वरिष्ठता के आधार पर सम्मानजनक पद पाने की इच्छा रखते हैं, ऐसे नेताओं की फेहरिस्त भी लंबी है ! फिलहाल नजर मंत्रिमंडल पुनर्गठन पर है इसलिए क्योंकि कौन बाहर होगा और कौन अंदर आएगा, जिन मंत्रियों को बगावत के कारण बाहर किया था क्या वह वापस मंत्री बनेंगे और क्या सचिन पायलट वापस उप मुख्यमंत्री बन कर गृह मंत्रालय संभालेंगे ? इसका इंतजार कीजिए ?
Devendra Yadav Sr. Journalist |