"पांच राज्यों के चुनाव परिणाम" हम बदलेंगे-युग बदलेंगे! क्या इसकी शुरुआत हो गई है?
पांच राज्य के विधानसभा चुनावों के नतीजों का विश्लेषण आज आचार्य श्री राम शर्मा जी के इस चिपोगन से करता है!
"हम बदलेंगे, युग बदलेंगे" क्योंकि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले और घोषणा होने के बाद राजनीतिक पंडित और राजनीतिक विश्लेषक, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर अनुमान लगा रहे थे कि बंगाल के चुनाव देश की राजनीति का भविष्य तय करेगा?
बंगाल की जनता ने राजनीतिक बयान और पंडितों को बता दिया की देश का राजनैतिक भविष्य जनता ही तय करती है, नेता चाहे कितना भी राजनीतिक ग्लैमर दिखा लेकिन असली ग्लैमर जनता ही नेताओं को दिखाती है जो बंगाल चुनाव में देखने को मिला!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दर्जनों काबीना मंत्री पश्चिम बंगाल चुनाव के अंतिम समय तक बंगाल में डेरा रहे, इसके बाद भी वह अकेले ममता बनर्जी की पार्टी को नहीं हरा सकी क्योंकि जनता “त्यागी”
और जनता ने एक बार फिर से बंगाल में ममता बनर्जी को ही चुना!
बंगाल विधानसभा चुनाव की समीक्षा करना शायद राजनीतिक पंडित और पार्टी के लिए कठिन हो जाएगा क्योंकि बंगाल चुनाव में कई तरह के राजनैतिक मोड आ गए हैं जिन्होंने इसे भी भ्रमित कर दिया है!
लेकिन 17 मार्च 2021 को मैंने अपने ब्लॉग में लिखा था कि बीजेपी बंगाल में उत्तर प्रदेश के प्रचंड बहुमत या दिल्ली के इतिहास को दोहरा रही है? उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिला प्रचंड बहुमत तो नहीं दिखा लेकिन दिल्ली का इतिहास दिखाई दिया बंगाल में भी भाजपा हरि और तीसरे बार तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई दिल्ली में भी कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई थी और अब पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस पूरी तरह से गई साफ हो गया!
मैंने पूर्व में भाजपा के नजरिए से बंगाल चुनाव की तुलना दिल्ली चुनाव से की थी!
दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय देश में समान नागरिकता कानून के खिलाफ आंदोलन चल रहा था, और आंदोलन के बीच दिल्ली में विधानसभा के चुनाव चल रहे थे उस चुनाव में भी भाजपा के चाणक्य गृह मंत्री अमित शाह की महत्वपूर्ण भूमिका थी अमित शाह ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में के रोड शो और जनसभाएं की दिल्ली चुनाव में अमित शाह ने अपने चुनेवी भाषण में मतदाताओं से कहा था कि वोटिंग के दिन इतना तेज बटन दबाना जिसका करंट किन बाग में लगे ठीक वैसा ही बटन पश्चिम बंगाल चुनाव में भी अमित शाह ने मतदाताओं से दबे वाया !
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तरह पश्चिम बंगाल चुनाव के समय देश में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन चल रहा है!
मैंने कुछ समय पहले ही लिखा था कि बंगाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा के सामने दो बड़ी मुश्किलें हैं, एक किसान आंदोलन का प्रारंभ और दूसरा कोरोना महामारी का संकट!
भाजपा के लिए किसान आंदोलन पहली चुनौती बनकर सामने आई और कोरोना महामारी की अंतिम चुनौती भाजपा के इरादे बंगाल को जीतने को नेस्तनाबूद कर दिया! ममता बनर्जी की जीत को लेकर भी समीक्षक हैरान और परेशान होंगे, ममता बनर्जी की वापसी होने का श्रेय यदि भाजपा को दे तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी! ममता बनर्जी की जीत के लिए बंगाल चुनाव 8 चरणों में होना भी फायदा मंद रहा क्योंकि अंतिम चरणों में देश के अंदर कोरोना महामारी ने तांडव मचा दिया और जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर सवाल खड़े करने गई थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह तो जनता के सवालों का जवाब नहीं दे पाए लेकिन जनता ने भा जा पा को बंगाल के अंदर अपना जवाब दे दिया! यदि असम सहित अन्य राज्यों की तरह कम चरणों में बंगाल का चुनाव होता है तो शायद ममता दीदी को जो फायदा मिला वह नहीं मिला,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कटाक्ष में ही सही लेकिन दीदी औदीदी कहकर ममता बनर्जी का जमकर प्रचार किया जिसका फायदा महिला मतदाताओं के रूप में ममता बनर्जी को मिला!
ममता बनर्जी को भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता का आह्वान करना भी फायदेमंद रहा इस आह्वान के बाद विपक्षी नेता ममता बनर्जी के साथ लगे या नहीं लगे लेकिन जो मत कांग्रेस और वाम दलों को मिलने वाले थे वह वोट ममता बनर्जी को मंच में मिल गए!
अभी बंगाल चुनाव के परिणाम घोषित हुए हैं इसलिए इसकी देश की राजनीति पर इसका असर पड़ेगा।
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देवेंद्र यादव सीनियर जर्नलिस्ट एंड पॉलिटिकल एनालिटिक्स |