दोर-ए- परीक्षा और कठिन सवाल?
परीक्षार्थियों के तनाव को कम करने के उद्देश्य से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा में बैठे छात्र छात्राओं के तनाव को कम करने के लिए गत दिनों मन की बात बताई, यह पहला अवसर नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छात्र-छात्राओं के तनाव को कम करने के लिए सामने आए इससे पहले भी जब परीक्षा का समय आया तब मोदी जी छात्र-छात्राओं के परीक्षा देने जा रहे छात्र-छात्राओं के तनाव को कम करने के लिए सामने आए, निश्चित रूप से छात्र छात्राओं का प्रधानमंत्री मोदी की बात सुनकर तनाव कम हुआ होगा ?
लेकिन देश मैं परीक्षा की घड़ी केवल परीक्षार्थी छात्र छात्राओं के सामने नहीं आई है बल्कि परीक्षा की घड़ी देश की आम जनता के सामने भी खड़ी हुई है, आम जनता के सामने कठिन सवाल है जिनको हल करने का जनता लंबे समय से प्रयास कर रही है मगर अपने पेन की स्याही खत्म हो गई लेकिन कठिन सवाल का हल अभी तक नहीं निकल पाया है !
आंदोलनकारी किसान अपनी फसल का समर्थन मूल्य मिले और केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराने हल ढूंढ रहे हैं लंबा समय गुजर जाने के बाद भी किसान इस सवाल का हल अभी तक नहीं ढूंढ पाए, बल्कि समर्थन मूल्य के अतिरिक्त भी किसानों के सामने डीजल खाद और बिजली के दामों में बढ़ोतरी के और भी कठिन सवाल आकर खड़े हो गए अब किसानों के सामने दो कठिन सवाल हैं एक तीन कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे रहे या फिर रवि की फसल को तैयार कर बेचकर खरीफ की फसल भोले की तैयारी करें, यह दोनों ही कठिन सवाल किसानों के सामने खड़े हुए हैं, किसानों की परीक्षा ले रही सरकार के नुमाइंदे भी इस समय परीक्षा में व्यस्त हैं !
राजनेता तमिल नाडु केरल पांडुचेरी असम और पश्चिम बंगाल के चुनावों में व्यस्त हैं राजनेताओं के सामने भी कठिन परीक्षा है राजनेता भी चुनावी कठिन परीक्षा में व्यस्त हैं ! भाजपा पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे कठिन राज्य पश्चिम बंगाल मैं पूरी तरह से लगी हुई है क्योंकि भाजपा के लिए पश्चिम बंगाल जीतना एक कठिन सवाल है इसलिए भाजपा ने पूरी ताकत पश्चिम बंगाल चुनाव में लगा रखी है अब भाजपा इसमें सफल हो पाती है या नहीं यह तो 2 मई को ही पता चलेगा वही कांग्रेस ने भी असम और केरल में अपनी पूरी ताकत लगा रखी है क्योंकि यह दोनों ही राज्य कांग्रेस के लिए कठिन परीक्षा की घड़ी है !
किसान आंदोलन और पांच राज्यों के चुनाव चल ही रहे थे की केंद्र सरकार के सामने कोरोना महामारी का फिर से सवाल आकर खड़ा हो गया है केंद्र सरकार आंदोलन कारी किसानों और विधानसभा के चुनावों का हल ढूंढ या फिर कोरोना महामारी से निपट ने के सवाल को हल करें तीनों ही सवाल सत्तासीन भाजपा के नेताओं के लिए कठिन है !
देश की आम जनता के सामने भी कोरोना महामारी का कठिन सवाल खड़ा हुआ है, महामारी से कैसे बचा जाए यह जनता के सामने एक परीक्षा की घड़ी है सवाल कठिन है लेकिन सवाल का हल निकालना भी जरूरी है जनता के बीच 2 सवाल है एक कोरोना महामारी से बचने के नियमों का पालन करना दूसरा अपनी जीविका को बा दस्तूर चलाना, दोनों ही सवाल कठिन है मगर हल तो निकालना ही पड़ेगा ?
देश के बेरोजगार युवा रोजगार के लिए परीक्षा देहि रहे थे कि अब उनके सामने कोरोना महामारी की दूसरी परीक्षा सामने आ गई है, कोविड-19 ने बेरोजगार युवाओं की पहले चरण में नौकरी छीनी थी जिसकी भरपाई बेरोजगार अभी तक भी पूरा नहीं कर पाए थे की देश में कोविड-19 का दूसरा चरण शुरू हो गया है ! प्रवासी मजदूर दूसरे चरण की दस्तक को देखकर अपनी घर वापसी करने में जुट गए हैं, क्योंकि प्रवासी मजदूर शायद पहले चरण की कठिन यादों को भूल नहीं पाए हैं इसलिए वह दूसरे चरण में पहले से ही सतर्कता बरतते दिखाई दे रहे हैं !
परीक्षा दोर से केवल छात्र-छात्राएं ही नहीं गुजर रहे हैं बल्कि तमाम देश परीक्षा के दौर से गुजर रहा है !
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Devendra Yadav Sr. Journalist & Political Analytic |